22 जुलाई को चंद्रयान-2 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो गया। लॉन्च के 17 मिनट बाद ही ये पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया। चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर को पहुंचेगा। इस मिशन की कुल लागत 1000 करोड़ रुपए है। चंद्रयान-2 मिशन के तीन अहम हिस्से पहला ऑर्बिटर, दूसरा लैंडर और तीसरा रोवर हैं। ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर अलग होगा और चांद की सतह की ओर से बढ़ेगा। ऑर्बिटर चांद की सतह से करीब 100 किमी स्थापित होगा। विक्रम लैंडर लैंडिंग साइट को स्कैन कर साउथ पोल में उतरेगा। ये एक सॉफ्ट लैंडिंग होगी यानी लैंडिंग के दौरान लैंडर को झटका नहीं लगेगा। इससे लैंडर और उसके अंदर मौजूद रोवर को नुकसान नहीं होगा। चांद की सतह पर लैंडर से प्रज्ञान रोवर अलग होगा। रोवर पत्थर और मिट्टी के सैंपल इकट्ठा करेगा। फिर इसकी जानकारी विक्रम लैंडर को देगा। लैंडर इसे आर्बिटर को भेजेगा और ऑर्बिटर इसे इसरो को पास करेगा। लैंडर और रोवर चांद पर 14 दिन तक काम करेंगे।