वीडियो जानकारी:
आचार्य प्रशान्त
शब्दयोग सत्संग
१९ नवम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल,नॉएडा
दोहा:
बहता पानी निर्मला, बंधा गंदा होय|
साधु जन रमता भला, दाग ना लागे कोय|| (संत कबीर साहब)
प्रसंग:
संसार के साथ उचित रिश्ता कैसा?
आदमी का मन संसार में फंस कैसे जाता है?
जीवन एक प्रवाह है इससे क्या आस्य है?