वीडियो जानकारी: 19.07.25, संत सरिता, गोवा
Title : कमज़ोर नहीं हो, कमज़ोरी तुम्हारी चालाकी है! || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2025)
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विवरण:
माया तजूं तजि नहिं जाइ,
फिर फिर माया मोहि लपटाइ।
माया आदर माया मान,
माया नहिं तंह ब्रह्म ज्ञान।
माया रस, माया कर जान,
माया कारनि तजे परान।
माया जप तप माया जोग
माया बाँधे सबहि लोग।
माया जल थलि माया अकासि,
माया व्यापी रही चहुं पासी।
माया पिता माया माता,
अतिमाया अस्तरी सुता।
माया मारि करै ब्योहार,
कबीर मेरे राम अधार।
~ संत कबीर
इस वीडियो में आचार्य जी इस वीडियो में आचार्य जी संत कबीर के भजन "माया जप तप माया जोग, माया बाँधे सबहि लोग" पर चर्चा कर रहे हैं।
आचार्य जी समझाते हैं कि जप, तप, योग, साधना की विधियाँ भी माया बन जाती हैं, जब उनके पीछे यह झूठी मान्यता छुपी हो कि “मैं बेचारा, कमज़ोर, बँधा हुआ अहंकार हूँ जिसे सहारों से छुड़ाना है।”
आचार्य जी स्पष्ट करते हैं कि असली झूठ यह है कि हम अपने को कमज़ोर मानते हैं; वास्तव में हमारी कमज़ोरी सहारों की वजह से है – पहले सहारा आता है, फिर कमज़ोरी पैदा होती है।
आचार्य जी समझाते हैं कि भीतर की दुनिया में हर सहारा, हर बैसाखी, हर चतुराई माया है; सच में मुक्ति कोई भविष्य की मंज़िल नहीं, अभी की सच्चाई है, जो सहारे छोड़ते ही प्रकट हो सकती है। जो बिना सहारों के, बिना स्वांग के, सीधा जीवन के सामने खड़ा होता है, वही सच में मजबूत और सत्संग के योग्य है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06&nd=1&dlsi=0db8e0909301402f
संगीत: मिलिंद दाते
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